डूण्डासिवनी में विराजित होंगी मां के 51 शक्तिपीठ की प्रतिमाएं
सिवनी / नगर सहित सम्पूर्ण जिले में प्रतिवर्षानुसार जगत जननी माता रानी का शारदेय नवरात्र पर भक्ति-भाव व हर्षोल्लास से मनाने के लिए, समितियों के द्वारा पंडाल व मार्गो पर आकर्षक साज-सज्जा और लाइटिंग के साथ मां दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने की तैयारियां अंतिम चरण में है। सिवनी नगर के नेहरू रोड, जीएन रोड, भैरोगंज, शुक्रवारी, छिंदवाड़ा रोड, नागपुर रोड, डूण्डासिवनी, जबलपुर रोड, लूघरवाड़ा सहित अन्य क्षेत्र में बड़े पंडाल बनाकर व सजावट की जा रही है। प्राचीन परंपरा के अनुसार नगर के सिद्ध पीठ माने जाने वाले विभिन्न दुर्गा मंदिरों में कलश स्थापना के लिए मंदिरों की साफ -सफाई और रंग-रोगन का कार्य श्रद्धालुओं के सहयोग से किया जा रहा है।
मां शारदा की विशाल प्रतिमा के साथ होंगी 51 शक्तिपीठ की प्रतिमाएं
सिवनी नगर के डूंडा सिवनी के दुर्गा उत्सव पंडाल में इस वर्ष पौराणिक शास्त्रों में वर्णित 51 शक्तिपीठों की मां दुर्गा के 51 स्वरूप की प्रतिमा विराजित होंगी। मृत्युंजय शारदा उत्सव समिति के सदस्यों ने बताया कि पंडाल में तैयारियां जारी है। सिवनी के 4 मूर्तिकार मूर्तियां बना रहे हैं। इस बड़ी व्यवस्था में 10 हजार स्क्वायर फीट का वाटर पू्रफ पंडाल बनाया जा रहा है। इस पंडाल में मैहर की मां शारदा की विशाल प्रतिमा के साथ ही भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में स्थित सभी 51 शक्ति पीठों की मां की प्रतिमाओं जैसी दिखने वाली प्रतिमाओं को रखा जाएगा। साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जस प्रतियोगिता का आयोजन समिति इस वर्ष कर रही है।
शक्तिपीठों का है पौराणिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार दक्ष प्रजापति ने आयोजित यज्ञ में अपने पति शिव को आमंत्रित नहीं किए जाने के विरोध में मां ने यज्ञ कुण्ड अग्नि में प्रवेश कर लिया था, जिससे क्रोधित शिवजी ने मां सती के जलते शव को अपने कंधों में रखकर तांडव करना प्रारंभ कर दिया था, जिससे पृथ्वी में प्रलय जैसी स्थिति निर्मित हो गई थी। इस स्थिति से संसार को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मां सती के शव पर सुदर्शन चलाकर उन्हें 51 भागों में विभाजित कर दिया। इस तरह जहां-जहां मां सती के अंग और आभूषण गिरे, उन स्थानों को शक्तिपीठ कहा गया। प्रत्येक शक्तिपीठ पर शिव के अंश के रूप में भैरव के अनेक रूप भी स्थापित हैं। देश-विदेश के दुर्गम इलाकों में स्थित इन सभी शक्तिपीठों के दर्शन कर पाना सभी सनातनियों के लिए संभव नहीं हो पाता, इसलिए इस बार मृत्युंजय शारदा उत्सव समिति 51 शक्तिपीठों की प्रतिमाओं को सिवनी नगर वासियों के दर्शनार्थ स्थापित कर रही है।
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